5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained
5 Simple Statements About shiv chalisa lyricsl Explained
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मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
Lord, if the ocean was churned along with the lethal poison emerged, out of your respective deep compassion for all, You drank the poison and saved the entire world from destruction. Your throat became blue, So You're generally known as Nilakantha.
Whosoever features incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with really like and devotion, enjoys materials joy and spiritual bliss During this planet and hereafter ascends to the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eliminated the suffering of all and grants them eternal bliss.
O Glorious Lord, consort of Parvati You're most merciful . You mostly bless the weak and Shiv chaisa pious devotees. Your stunning form is adorned Using the moon with your forehead and on the ears are earrings of snakes' hood.
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
कमल नयन पूजन चहं Shiv chaisa सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
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ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं shiv chalisa in hindi ।
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥